झारखंडी भाषा के प्रति समर्पित एक महत्वपूर्ण संघर्ष समिति है झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति। यह समिति झारखंड राज्य में झारखंडी भाषा के प्रशंसकों द्वारा स्थापित की गई है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य झारखंडी भाषा को सम्मान और प्रोत्साहन प्रदान करना है।
झारखंड राज्य में झारखंडी भाषा अपनी विशेषताओं और गौरवशाली इतिहास से परिपूर्ण है। यह एक अलग भाषा है जो झारखंड की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान का हिस्सा है। इसे झारखंडी बोली भी कहा जाता है। झारखंडी भाषा की संरचना, व्याकरण और शब्दावली अनुभवजनक हैं और इसके विशेष शब्दों और वाक्यों का उपयोग करके इसे अद्यतन किया जा सकता है।
झारखंडी भाषा को बचाने और संरक्षित करने के लिए झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ने कई पहल की है। इस समिति ने झारखंड राज्य सरकार को झारखंडी भाषा को राज्य भाषा के रूप में मान्यता देने की मांग की है। इसके साथ ही, समिति ने झारखंडी भाषा के शिक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई हैं।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के सदस्य भाषा प्रेमी, साहित्यकार, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन सदस्यों का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है झारखंडी भाषा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना और इसे बचाने के लिए जागरूकता फैलाना। समिति ने भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं जिनमें भाषा सप्ताह, भाषा संगोष्ठी, कविता पाठ आदि शामिल हैं।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ने झारखंडी भाषा को संरक्षित करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं। समिति ने झारखंडी भाषा को स्कूलों में शामिल करने की मांग की है और इसके लिए अधिक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। समिति ने झारखंडी भाषा के लिए विशेष पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी तैयार की हैं।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के प्रयासों के बावजूद, झारखंडी भाषा को लेकर अभी भी कई चुनौतियां हैं। इसे लोगों के बीच और अधिक प्रचारित करने की आवश्यकता है ताकि झारखंडी भाषा की महत्ता और महिमा को सभी तक पहुंचा जा सके।