झारखंड राज्य अपनी विविधता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें से एक है झारखंडी भाषा। झारखंडी भाषा झारखंड राज्य की मुख्य भाषा है और यहाँ के लोगों की गरिमा और भाषा संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इसके बावजूद, झारखंडी भाषा को अपनी स्थिति और महत्व को लेकर कई समस्याएँ हैं। इसी उद्देश्य से झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की स्थापना की गई है। इस संघर्ष समिति का मुख्य उद्देश्य झारखंडी भाषा की संरक्षा, संवर्धन और प्रशासनिक मान्यता को बढ़ावा देना है।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति का गठन वर्ष 2010 में हुआ था। इस संघर्ष समिति में अनेक भाषाविद्यालयों, साहित्यिकों, कला और सांस्कृतिक संगठनों के सदस्य शामिल हैं। इस समिति का प्रमुख उद्देश्य सरकारी नीतियों में झारखंडी भाषा को शामिल करना है और भाषा की मान्यता को बढ़ाना है।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ने अपने महत्वपूर्ण कार्यों के माध्यम से झारखंडी भाषा को बचाने और प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। इस समिति ने भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इनमें से कुछ मुख्य कार्यक्रम शिक्षा संस्थानों में झारखंडी भाषा के विषय में अध्यापन, साहित्य संगोष्ठियाँ, काव्य पाठ, नाटक आदि शामिल हैं।
झारखंडी भाषा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ने भाषा संचार के लिए भी कई उपाय अपनाए हैं। इस समिति ने झारखंड राज्य में झारखंडी भाषा के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग किया है।
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति ने अपने संघर्ष के माध्यम से झारखंडी भाषा को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यता प्रदान करने का प्रयास किया है। यह संघर्ष समिति भाषा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने कार्यों को बढ़ावा देती है और भाषा को सम्मान और समर्थन प्रदान करती है।